देहरादून, 16 अगस्त, 2025: देवभूमि उत्तराखंड में प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। पिछले कई हफ्तों से जारी मॉनसून की बारिश अब कहर बनकर टूट रही है। पहाड़ों से लेकर मैदानों तक जल प्रलय जैसे हालात बने हुए हैं और मौसम विभाग ने जो ताजा चेतावनी जारी की है, उसने लोगों की सांसें थाम दी हैं। जी हाँ, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के 7 जिलों में “रेड अलर्ट” और अन्य कई जिलों में “ऑरेंज अलर्ट” जारी करते हुए अगले 48 घंटों को ‘बेहद भारी’ बताया है। आसमान से आफत बरसने की इस चेतावनी के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है और प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इन जिलों पर है सबसे बड़ा खतरा, सूची देखकर चौंक जाएंगे आप!
मौसम विभाग के अनुसार, मॉनसून ट्रफ के हिमालय की तलहटी की ओर बढ़ने और बंगाल की खाड़ी से आ रही नम हवाओं के कारण एक खतरनाक मौसमी सिस्टम सक्रिय हो गया है। इसके चलते उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल, दोनों मंडलों में प्रलयंकारी बारिश की आशंका है।
जिन 7 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है, वे हैं:
नैनीताल: झीलों की नगरी पर बाढ़ और भूस्खलन का सबसे बड़ा खतरा।
चम्पावत: शारदा और अन्य सहायक नदियों के किनारे बसे गांवों के लिए खतरे की घंटी।
उधम सिंह नगर: मैदानी इलाका होने के कारण जलभराव और बाढ़ की स्थिति गंभीर हो सकती है।
पिथौरागढ़: काली नदी का जलस्तर बढ़ने और संवेदनशील पहाड़ी ढलानों पर भूस्खलन की सर्वाधिक आशंका।
बागेश्वर: सरयू और गोमती नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है।
देहरादून: राजधानी में भारी बारिश के कारण शहरी बाढ़ और नदी-नालों के उफान पर आने का खतरा।
पौड़ी गढ़वाल: अलकनंदा और नयार नदियों के किनारे भूस्खलन और सड़कों के बंद होने की आशंका।
इन जिलों में 200 मिमी से भी अधिक की अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है, जिससे विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हो सकती हैं।
ऑरेंज अलर्ट: ये जिले भी नहीं हैं सुरक्षित
रेड अलर्ट वाले जिलों के अलावा, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, और हरिद्वार में भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। यहाँ भी बहुत भारी बारिश होने की संभावना है, जो सामान्य जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकती है।
क्यों है यह चेतावनी इतनी खतरनाक? समझिए पूरा गणित
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सिर्फ सामान्य मॉनसूनी बारिश नहीं है। लगातार हो रही बारिश के कारण पहाड़ की मिट्टी और चट्टानें पहले से ही कमजोर हो चुकी हैं। अब जब उन पर कुछ ही घंटों में 150-200 मिमी की अतिरिक्त बारिश होगी, तो वे पानी का बोझ नहीं सह पाएंगी। इसके परिणामस्वरूप अचानक आने वाली बाढ़ (फ्लैश फ्लड), बड़े पैमाने पर भूस्खलन और चट्टानें गिरने की घटनाएं हो सकती हैं। नदियों का जलस्तर कुछ ही घंटों में खतरे के निशान को पार कर सकता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस सकता है।
पर्यटकों और चारधाम यात्रियों के लिए विशेष चेतावनी
इस भयानक मौसम के पूर्वानुमान को देखते हुए, प्रशासन ने पर्यटकों और चारधाम यात्रियों से अपनी यात्रा को फिलहाल स्थगित करने की अपील की है। कई प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग, जैसे कि ऋषिकेश-बदरीनाथ, ऋषिकेश-गंगोत्री, और टनकपुर-पिथौरागढ़ मार्ग पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है, जिससे वे कभी भी बंद हो सकते हैं। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और पहाड़ों की ओर यात्रा करने का जोखिम बिल्कुल न उठाएं। जो लोग पहले से ही पहाड़ी इलाकों में हैं, उन्हें किसी भी नदी या गदेरे के पास जाने से सख्ती से मना किया गया है।
प्रशासन हुआ मुस्तैद, SDRF और NDRF की टीमें तैनात

मौसम विभाग की चेतावनी के बाद राज्य सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह से हरकत में आ गए हैं। सभी जिलों के जिलाधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की कई टीमों को सबसे संवेदनशील इलाकों में पहले से ही तैनात कर दिया गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है। भूस्खलन से बंद होने वाली सड़कों को तुरंत खोलने के लिए जेसीबी और अन्य मशीनरी को रणनीतिक स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर:
अगले 48 घंटे: खुद को और अपने परिवार को कैसे रखें सुरक्षित?
अनावश्यक यात्रा से बचें: विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करने की योजना को तुरंत रद्द कर दें।
नदी-नालों से दूर रहें: जलस्तर अचानक बढ़ सकता है, इसलिए नदियों, गदेरों और झरनों के पास बिल्कुल न जाएं।
कमजोर भवनों से सावधान: यदि आपका घर किसी संवेदनशील पहाड़ी ढलान पर या नदी के बहुत करीब है, तो किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाएं।
बिजली और पानी: अपने फोन, पावर बैंक को चार्ज रखें और पीने के पानी का पर्याप्त भंडारण करें।
अफवाहों पर ध्यान न दें: केवल आधिकारिक स्रोतों से मिली जानकारी पर ही विश्वास करें और घबराएं नहीं।
सतर्क रहें: अपने आसपास के वातावरण पर नजर रखें। चट्टानों के गिरने की आवाज, या पानी के रंग में अचानक बदलाव खतरे का संकेत हो सकता है।
यह मॉनसून उत्तराखंड के लिए एक कठिन परीक्षा की घड़ी है। अगले 48 घंटे देवभूमि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमारी सभी से अपील है कि वे सतर्क रहें, सुरक्षित रहें और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें।